अनूपपुर – इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है, बिरसा मुंडा चेयर के लिए मिले हुए धनराशि का दुरुपयोग करने के लिए रिटायर प्रोफेसर प्रसन्ना कुमार सामल के माध्यम से कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया तथा चेयर रिसर्च फेलो के पद पर जनजातीय समाज के दो उम्मीदवारों को दरकिनार करते हुए कुलपति ने सामल के स्टूडेंट ज्ञान प्रकाश पटेल, उत्तर प्रदेश की नियुक्ति कर दी है। बिरसा मुंडा चेयर के लिए प्राप्त धनराशि फंड से फर्जी खरीदारी तथा फर्जी बिल पास किया गया हैं उसमे सामल ने उमरिया के अपने दुसरे छात्र का दुरूपयोग कर रहा है। इसमामले में भगवा पार्टी के जिला अध्यक्ष कमलेश द्विवेदी ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, राज्यपाल मंगूभाई पटेल, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र यादव तथा शिक्षा सचिव संजय के मूर्ति, प्रधानमंत्री के सचिव सहित अनेक प्रमुख अधिकारियों को कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी के भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने की मांग की है तथा बताया की यदि सरकार जनजातीय हित में सीबीआई जांच का आदेश नहीं देता है तो भगवा पार्टी सुप्रीम कोर्ट में में जनहित याचिका दायर कर कुलपति पर कार्यवाही की मांग करेगी और इसके लिए जनआंदोलन चलाया जाएगा।
पेसा एक्ट के प्रोजेक्ट तथा ट्राइबल सेंटर फॉर एक्सीलेंस में भी महाघोटाला
कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की सेंटर फॉर एक्सीलेंस का प्रोजेक्ट जनजाति कल्याण मंत्रालय भारत सरकार से साइंस विभाग के प्रोफेसर को मिला था लेकिन उससे प्रोजेक्ट को गैरक़ानूनी ढंग से छिनकर रिटायर प्रो सामल को दिया गया तथा सामल और प्रो प्रकाशमणि मिलकर कई करोड़ का घोटाला कर दिया गया बाद में जनजाति के लिए बना सेंटर फॉर एक्सीलेंस बंद हो गया। इतना ही नहीं पेसा एक्ट के तहत प्राप्त होने वाले 14 करोड़ के प्रोजेक्ट का भी पहले से ही पूर्व योजना बनाकर जनजातीय कल्याण के प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार में सारोबार कर दिया गया। जनजातीय गौरव को भ्रष्टाचार का गौरव बना दिया गया है। यह बात डॉ गौरी शंकर महापात्रा ने भी बताया है।
कुलपति ने पाँच वर्षों में जनजातीय विश्वविद्यालय को रसातल में मिला दिया है
कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की 5 वर्षों में विश्वविद्यालय की नेक की मान्यता समाप्त हो गई, एनआईआरएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालय शुरू की 1000 विश्वविद्यालयों की सूचि से भी बाहर हो गया है, विश्वविद्यालय में छात्रों को छात्रावास नहीं दिया गया, छात्र कक्षा अटेंड नहीं कर पा रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से प्रतिवर्ष लगभग 40% सीट खाली रह जा रही है जिस पर प्रवेश नहीं हो पा रही है। स्नातकोत्तर के अधिकांश विभाग में एक – दो या नहीं के बराबर छात्र प्रवेश लिए हैं, पिछले कई वर्षों से पीएचडी में सीट खाली है लेकिन भर्ती नहीं की जा रही है जिससे विश्वविद्यालय का शोध का स्तर शून्य हो गया है।
संसद की 29 सीट देने वाले मध्य प्रदेश का जबरदस्त अपमान
कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की नॉन टीचिंग पद के लिए भर्ती होने से पहले सभी पदों की फिक्सिंग कर दी गई है तथा वेब साईट पर दिनांक 18 नवम्बर को एडमिट कार्ड भेजने तथा 20 नवंबर तथा 24 नवंबर को बिलासपुर और रायपुर में परीक्षा केंद्र रखकर लिखित परीक्षा आयोजित की जा रही है जो फिक्सिंग को स्वमेव प्रमाणित करता है। श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी को लगा था की वो अपना कार्यकाल बढ़वा लेंगे लेकिन येन वक्त पर उन्हें जब सफलता न मिलती दिखाई दी तब कार्यकाल ख़त्म होने के 15 दिन पहले आनन फानन में नॉन टीचिंग पद पर गैरकानूनी भर्ती की जा रही है। सवालिया निशान है की क्या लिखित परीक्षा के केन्द्रों के लिए मध्यप्रदेश में अनूपपुर, शहडोल, जबलपुर, भोपाल उपयुक्त नहीं था जिसमें परीक्षा का केंद्र बनाया जा सके। भिंड -मुरैना ग्वालियर का व्यक्ति 18 तारीख को एडमिट कार्ड होने पर 20 तारीख को किस प्रकार से बिलासपुर परीक्षा देने पहुंच पाएगा या जम्मू या कर्नाटक से कोई कैसे पहुंच पाएगा? इस प्रकार से कुलपति जाते-जाते भ्रष्टाचार के चरम सीमा पार कर दिए हैं और अपने गलत कार्य को कार्य परिषद से पारित कर ले रहे हैं नॉन टीचिंग की होने वाली परीक्षा मात्र दिखावा है सभी पद पहले से ही फिक्सिंग किए गए हैं और मध्य प्रदेश में रिटेन एग्जाम का सेंटर नहीं रखना अपने आप में 29 संसद की सीट जीत कर देने वाली मध्य प्रदेश का और मध्य प्रदेश के जनजातियों का स्पष्ट अपमान है इस मामले में मुख्यमंत्री को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए तथा कुलपति के सभी पावर को 24 घंटे के भीतर सीज कर दिया जाना चाहिए
जनजातियों के साथ षड्यंत्र तथा साधू, संत, मंत्री के नाम पर करोड़ों की कमीशनखोरी
कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की षड़यंत्र करके कार्यपरिषद् से तथा महत्वपूर्ण पदों से जनजातियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया, जनजातीय के नाम पर बने विश्वविद्यालय में जनजातियों को ही कार्यपरिषद, बिल्डिंग कमेटी, वित्त कमेटी से बाहर कर दिया गया है। जिन शिक्षकों की भर्ती की गई है वे या तो कुलपति के रिश्तेदार है या बेहद संदिग्ध रूप से चयनित किये गए हैं और केंद्रीय मंत्री, भाईसाहब, साधु संत के नाम पर नियम विरुद्ध भ्रष्टाचार के मार्ग से किया गए हैं । शिक्षा मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश तथा विजिलेंस क्षेत्र के निर्देशानुसार कार्यकाल समाप्त होने के दो माह पहले से समस्त प्रकार की भर्ती प्रक्रिया एवं विशेष प्रकार के निर्णय नहीं लिए जाते हैं यह स्पष्ट गाइडलाइन में है, लेकिन कुलपति कार्य परिषद में फर्जी सदस्यों की नियुक्ति कर लिए हैं कार्यपरिषद में जिन सदस्यों की नियुक्ति कुलपति के माध्यम से की गई है वे अधिनियम के खिलाफ नामित किया गया है, कार्य परिषद के किसी भी मिनिट्स पर सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं कराए गए हैं और कार्य परिषद की फर्जी मिनिट्स बनाकर पूरी तरीके से अवैध रूप से इस विश्वविद्यालय का संचालन किया जा रहा है और अब बैक डेट से हस्ताक्षर करने की फर्जी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है कई सदस्य ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिए हैं तथा ऑनलाइन जुड़े हुए सदस्यों ने भी मना कर दिए हैं।
*रिकॉर्ड तथा भ्रष्टाचार की फाइल लगातार गायब की जा रही है*
कमलेश द्विवेदी ने आगे बताया की मंत्रालय से एक्सटेंसन नहीं मिलने के संकेत के बाद से फाइल गायब हो रहे है, शैक्षणिक तथा कुलसचिव, वित्त अधिकारी के महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती ऑनलाइन लिंक में इंटरव्यू की जो रिकॉर्डिंग हुई उसमें कैंडिडेट से क्या पूछा गया, कैंडिडेट में क्या जवाब दिया, ऐसे समस्त रिकॉर्ड को गायब कर दिया गया है, पिछले एक हफ्ता में इंजीनियरिंग भर्ती की डेढ़ सौ फाइलें गायब कर दी गई है, 5 दिसंबर को जाने से पहले अपने भ्रष्टाचार के सारे सबूत मिटाने में लगे है, कुलपति अपने गलत कार्यों को कार्य परिषद के फर्जी मिनट्स से पारित करा ले रहे हैं तथा सबको डरा धमका रहे हैं कि हम आपका कार्रवाई करेंगे हम आपको जेल भिजवा देंगे अपने शक्ति का गलत प्रदर्शन कर रहे हैं।